Welcome to my blog!

Meet the Author

Blessed with the best _ Alhumdulillah!a million times for every blessing in my life.

Looking for something?

Subscribe to this blog!

Receive the latest posts by email. Just enter your email below if you want to subscribe!

Sunday, October 28, 2018

तरे वादों पे तरे सिलसिल-ऐ दीद पे ख़ाक


तरे वादों पे तरे सिलसिल-ऐ दीद पे ख़ाक
तुझ से जो आख़री था रिशता-ऐ उममीद पे खा़क 

تیرے وعدوں پہ ترے سلسلہءِ دید پہ خاک
تجھ سے جو آخری تھا، رشتہ امید پہ خاک


तेरी बख़शी हुई ख़ुशियों पे तरी ईद पे खा़क
मुतमईन दिल ये कहे, "रिशता-ऐ नोमीद पे ख़ाक" (नोमीद  -- मायूस)

تیری بخشی ہوئی خوشیوں پہ تری عید پہ خاک
مطمئن دل یہ کہے، "رشتہءِ نومید پہ خاک"


तुझ से जल्लाद को जो कहना है वो साफ़ कहे 
पेश लफ़्ज़ी पे तेरी और तेरी तम्हीद पे ख़ाक (पेश लफ़्ज़ी -- Preface , तम्हीद -- Forward )

تجھ سے جلّاد کو جو کہنا ہے وہ صاف کہے
پیش لفظی پہ تری اور تری تمہید پہ خاک


ख़्वाब-ऐ-जन्नत न दिखा, सुन ले ऐ शद्दाद-ऐ-ज़मां 
झूठे महताब पे तेरे, तेरे ख़ुर्शीद पे ख़ाक 

خوابِ جنت نہ دکھا، سن لے اے شداد زماں
جھوٹے مہتاب پہ تیرے، ترے خورشید پہ خاک


तेरे दामन पे  हैं मासूम के ख़ूँ  के छींटे 
थू  क़यादत पे  तेरी, हाँ तेरी तक़्लीद पे ख़ाक (तक़्लीद -- Following )

تیرے دامن پہ ہیں معصوم کے خوں کے چھینٹے
تُھو قیادت پہ تری، ہاں تری تقلید پہ خاک


आग नफरत की लगाई तू ने घर घर और अब 
झूठे दरमाँ  पे  तेरी कोशिश-ऐ-तबरीद पे  ख़ाक (तबरीद -- To Cool Down )

آگ نفرت کی لگائی تو نے گھر گھر اور اب
جھوٹے درماں پہ، تری کوشش تبرید پہ خاک


तुझ को मालूम है इस्लामी शआईर  किया हैं? (शआईर -- Rules )
ऐतराज़ात पे  जाहिल, तेरी तन्क़ीद  पे  ख़ाक 

تجھ کو معلوم ہے اسلامی شعائر کیا ہیں؟
اعتراضات پہ جاہل تری تنقید پہ خاک


एक शरियत तुझे गढ़नी थी बहाने न बना 
तेरे फ़ितने पे  तेरी कोशिश-ऐ-तज्दीद  पे ख़ाक 

اک شریعت تجھے گھڑنی تھی،  بہانے نہ بنا
تیرے فتنے پہ تری کوششِ تجدید پہ خاک


देस काशिफ़ किसी आमिर के हवाले जो करे 
उस हिमायत को चपत, साथ मैं ताईद पे ख़ाक 

دیس کاشف کسی آمر کے حوالے جو کرے 
! اُس حمایت کو چپت، ساتھ میں تائید پہ خاک


No comments:

Post a Comment

')